क्या आप सच्चे परमेश्वर को जानना चाहते है ?


आज के मिलावट वाले कली युग मे हम सच्चे परमेश्वर तथा जिवीत परमेश्वर से बिछड गये है और अज्ञान की राह पर चल पड़े है। 

हम देखते है हमारे कई भाई बेहेन बोहत से देवताओं तथा बाबाओं के पास अपनी समस्या के निवारण के लिएं जाते है लेकिन उन्हें पता भी नहीं चलता की वे कब अज्ञानीयों की राह पर चल पडें है। पर जो ज्ञानी होते है वो सच्चे परमेश्वर को समझ जाते है।

तो सच्चा परमेश्वर है कौन ?

मैं सौभाग्यशाली हुं जो आपको सच्चे परमेश्वर के बारे मे बतानें का मुझें अवसर मिला। यह गीता के श्लोक सुनिए।

मैं वासुदेव ही संपूर्ण जगत्‌ की उत्पत्ति का कारण हूँ और मुझसे ही सब जगत्‌ चेष्टा करता है, इस प्रकार समझकर श्रद्धा और भक्ति से युक्त बुद्धिमान्‌ भक्तजन मुझ परमेश्वर को ही निरंतर भजते हैं ॥ गीता 10:8॥

श्री कृष्ण ने साफ साफ कहां है की इस पुरे विश्व के निर्मीती उनसे ही हुई और वही पालनहार है। श्री कृष्ण द्वारा दिए गये ज्ञान को सुनकर अर्जुन समझ जाते है की श्री कृष्ण ही परमेश्वर हैं। अर्जुन उन्हे कहते हैं..

हे भूतों को उत्पन्न करने वाले! हे भूतों के ईश्वर! हे देवों के देव! हे जगत्‌ के स्वामी! हे पुरुषोत्तम! आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं ॥ गीता 10:15॥

श्री कृष्ण देवों के देव हैं इसका अर्थ आप जब भी श्री कृष्ण की पुजा करते है तो स्वयं मे उन सभी दैवतों को भी प्रसन्न कर देते है।

जानिएं श्री कृष्ण अर्जुन से क्या कहते है..

संपूर्ण धर्मों को अर्थात संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्यागकर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा। मैं तुझे संपूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू चिंता मत कर॥ - गीता 18 : 66

इस श्लोक मे श्री कृष्ण कहते है की तुम सभी धर्म अर्थात सभी बाबा या आधिदैवतों को पुजनें की जगह मुझ जिवीत परमेश्वर को पुजो।

श्री कृष्ण एक, परमात्मा परमेश्वर है लेकिन अज्ञानी और मुर्ख लोग ये नहीं समझ पाते और हमेशा अज्ञान और अधर्म की राह पर चलते रहते है। उन के लिए श्री कृष्ण कहते है..

परन्तु उन अल्प बुद्धिवालों का वह फल नाशवान है तथा वे देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त चाहे जैसे ही भजें, अन्त में वे मुझको ही प्राप्त होते हैं - ॥गीता 7:23॥

श्री कृष्ण ने बताया की वो जो आपके भाई बेहन रिश्तेदार है जो किसी अन्य देवता को परमेश्वर मानते है और परमेश्वर श्री कृष्ण का अपमान करतें है तथा अपनी मुर्खतां और अज्ञानता का प्रचार करते है आप उन तक परमेश्वर के ज्ञान अर्थात इस गीतारहस्य को पोहोंचाएं। यह श्लोक सुनिएं...

जो पुरुष मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्ययुक्त गीताशास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा- इसमें कोई संदेह नहीं है - ॥ गीता 18:68॥

जब आप अन्य देवताओं को पुजते है तब आप उस परमेश्वर तक कभी नहीं पोहोंचतें जिनके पास आपको पोहोंचना चाहिएं। आप तक यह इश्वरीय ज्ञान पोहचाने के बाद भी अगर आप परमेश्वर श्री कृष्ण के व्यतिरीक्त अन्य देवताओं की पुजा करते है तो आप निश्चित ही अज्ञान और मुर्खतां के मार्ग पर चल रहें है।

जब आप परमेश्वर श्री कृष्ण की पुजा करते है तब आप उन सब देवताओं को भी प्रसन्न करते है, लेकिन अगर आप श्री कृष्ण को छोड कर बाकि देवताओं को पुजतें है तो आप अभी भी अज्ञानी है।
आपको ये ज्ञान प्राप्त हुआ तो आप सच्चे परमेश्वर को समझ गएं। और जब आप इस ईश्वरीय गीता रहस्य को आपके प्रियजनों तक पहोंचाएंगे तो आप निश्चीत ही श्री कृष्ण परमेश्वर को प्राप्त होंगे।

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।। हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे ।।

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